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यीशु के जन्म का आरम्भ अनेक आश्चर्यजनक घटनाओं के घटने से हुआ और इन श्रृंखलाओं का अन्त यीशु के पशुओं की चरनी में आने के द्वारा हुआ। उसके संसारिक अभिभावक, मरियम और यूसुफ, मात्र परमेश्वर के निर्देशों का पालन कर रहे थे तथा उन्होंने गदहे द्वारा यात्रा की और बेतलेहम नगर आए जहां बालक उत्पन्न हुआ।
तब उन दिनों में, स्वर्गदूत प्रगट हुए और निकट के मैदानों में उन्होंने गड़ेरियों को बालक के जन्म का समाचार दिया, जिन्होंने तब उस नवजात मसीहा का दर्शन किया जिसकी भविष्यवाणी अनेक वर्ष पूर्व उनके पूर्वजों द्वारा की गई थी।
लूका अध्याय 2 को आधार मानते हुए, यह वीडियो दिखाता है कि कैसे उस रात जब उन गड़ेरियों ने अपनी आंखों से मसीह के जन्म को देखा तब उनके जीवन परिवर्तित हो गए।
जब स्वर्गदूत गड़ेरियों पर प्रगट हुआ तब आप क्या सोचते हैं कि उन्हें कैसा लगा होगा?
आप क्यों ऐसा सोचते हैं कि परमेश्वर ने गड़ेरियों को अपने पुत्र के बेतलेहम में जन्म का समाचार देने के लिए चुना?
जब गड़ेरियों के झुण्ड ने मरियम और यूसुफ का दरवाजा यीशु का दर्शन करने के लिए खटखटाया होगा तथा स्वर्गदूतों के प्रगट होने के विषय में बताया होगा तब उन्हें कैसा लगा होगा?
क्या आप सोचते हैं कि यीशु के बड़ा होने पर उन गड़ेरियों में से कोई एक यीशु का शिष्य बना होगा?
गड़ेरियों की कहानी का उल्लेख केवल लूका (2:8-20) की पुस्तक में ही किया गया है।
संसार को यीशु के जन्म के लिए तैयार करने के लिए लूका तीन बार स्वर्गदूतों के आगमन का उल्लेख करता है। स्वर्गदूतों का आगमन जकरयाह (यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले का पिता), मरियम तथा गड़ेरियों के सामने हुआ।
लूका बहुदा ऐसे सामान्य लोगों की कहानियां तथा उनकी प्रतिक्रियाओं को अपने सुसमाचार में शामिल करता है जिनकी भेंट यीशु से होती है तथा जो उसकी शिक्षाएं सुनते हैं।