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गिरासेनियों के क्षेत्र से गुजरते समय यीशु का सामना दुष्टात्मा से ग्रस्त एक ऐसे व्यक्ति से हुआ जो चिल्लाता रहता था और उस क्षेत्र के लोगों के लिए डर उत्पन्न कर रहा था। यीशु ने पहचान लिया कि उस मनुष्य के शरीर में अनेक दुष्टात्माएं थीं जिन्होंने उसके शरीर और मस्तिष्क पर अधिकार कर रखा था।
यीशु की उस शक्ति का अनुमान लगाते हुए कि उसके पास दुष्टात्माओं को वश में करने का अधिकार था, उस मनुष्य ने यीशु से चले जाने की बिनती की किन्तु यीशु ने इन्कार कर दिया। इसके बदले यीशु ने दुष्टात्माओं को उस मनुष्य का शरीर छोड़ने तथा सुअरों के एक झुण्ड में अपना निवास बनाने की आज्ञा दी। एक बार जब दुष्टाष्माएं सुअरों में प्रवेश कर गई तब सुअर नियंत्रण से बाहर हो गए और यीशु से दूर भागे और गहरे आघात और पागलपन की स्थिति में पहाड़ की चोटी से नीचे गिर पड़े।
इस आश्चर्यकर्म ने उस व्यक्ति का जीवन बदल दिया जो दुष्टात्मओं से ग्रस्त होने के कारण अपना परिवार छोड़ने तथा कब्रों में रहने को विवश हो गया था। एक बार दुष्टात्माओं से छुटकारा पाने के बाद, वह चारों ओर प्रत्येक को यीशु के विषय में तथा जीवनों को बदलने की उसकी शक्ति के विषय में बताने लगा।
आप क्या सोचते हैं कि जब उस मनुष्य की माता और पिता अपने पुत्र को चंगा तथा सही दिमाग में घर आते देखा होगा तब उन्हें कैसा अनुभव हुआ होगा?
क्या आप सोचते हैं कि उस मनुष्य की चंगाई के कारण उसके परिवार तथा मित्रों ने यीशु पर विश्वास किया होगा?
आप ऐसा क्यों सोचते हैं कि उस क्षेत्र के लोगों ने दुष्टात्माओं से ग्रस्त मनुष्य की चंगाई से आश्चर्यचकित होने के बजाय यीशु से वहाँ से चले जाने की बिनती की?
यदि आप उस मनुष्य को यीशु द्वारा चंगा करते देखते तो क्या करते?
यह कहानी मरकुस 5:1-20 में पाई जाती है। इस पुस्तक में इसकी समानान्तर कहानियां मत्ती 8:28-34 तथा लूका 8:26-39 में पाई जाती हैं।
यहूदी लोगों द्वारा सुअरों को अशुद्ध पशु समझा जाता था लैव्यव्यवस्था 11:7 में भोजन पाबन्दियों के कारण।
नया नियम में मरकुस 7:14-23 में यीशु समस्त भोजनों को शुद्ध घोषित किया।
दिकापुलिस का अर्थ है ‘‘दस नगर’’ यीशु के समय में ये नगर यरदन नदी के पूर्व के नगरों तथा गलील, सागर के पूर्व के नगरों की ओर संकेत करते थे।