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यह कहानी दर्शाती है कि कैसे दानिय्येल और उसके मित्र अपने विश्वास में दृढ़ और अटल बने रहते हैं और अन्य में वे एक राजा और उसके शाही दरबार को प्रभावित कर देते है।
दानिय्येल और उसके मित्रों पर राजा के शाही भोजन खाने तथा दाखमधु (मदिरा) पीने के लिए दबाव डाला जा रहा था, यद्यपि वे जानते थे कि उनके लिए यह ठीक या अच्छा नहीं था। उन्होंने एक जांच का प्रस्ताव रखा इससे उन्हें अपना स्वस्थ भोजन खाने तथा राजा को यह दिखाने की अनुमति मिल गई कि भविष्य में कैसे वह भोजन उन्हें दूसरों की तुलना में ज्यादा बलवान और शक्तिशाली बनाने में सहायत करेगा। अन्त में दानिय्येल और उसके मित्रों के भोजन ने यह प्रमाणित कर दिया कि उनका भोजन तथा उत्तम जीवन की वचनबद्धता दूसरों से श्रेष्ठ थी तथा राजा ने उनकी बुद्धि के लिए ईनाम दिया।
क्या आप यह सोचते हैं कि दानिय्येल और उसके मित्र राजा द्वारा विशेष ध्यान रखे जाने को पूछने से डर गए थे? क्या आप भी डर जाते?
क्या सही या उचित कार्य करना जीवन को अधिक कठिन बनाता है?
जब दानिरय्येल भोजन की परीक्षा में सफल हो गया तब आप कैसे सोचते हैं कि राजा और उसके दरबार ने क्या प्रतिक्रिया की होगी?
जब दूसरे चाहते हैं कि आप गलत कार्य करें तब क्या आपकी समझ में सच्चाई के लिए खड़ा होना कठिन होता है?
मूसा के समय में परमेश्वर ने शुद्ध तथा अशुद्ध भोजन की सूची प्रदान की थी। दानिय्येल द्वारा बाबुल के लोगों द्वारा परोसे अशुद्ध भोजन को खाने से मना करने की ‘परीक्षा’ वास्तव में परमेश्वर को सम्मान देना था।
दानिय्येल की शुद्ध तथा पवित्र बनने की इच्छा के परिणामस्वरूप परमेश्वर ने आशीष के रूप में उसे कुशलताएं, बुद्धि और स्वप्नों तथा दर्शनों के विषय में समझ प्रदान की।
दानिय्येल की पुस्तक के शेष भाग में यह कहानी स्वप्नों तथा दूसरों के दर्शनों के अर्थ बताने में दानिय्येल की योग्यताओं की भूमिका का मंच तैयार करती हैं।